अमीबारुग्णता का आयुर्वेदिक उपाय

अमीबारुग्णता यानी Amoebiasis को Dysentry , Amebiasis , Entamoebiasis आदि नामों से भी जाना जाता है| यह एंटअमीबा ग्रुप के किसी भी अमोएबस के संक्रमण की वजह से होता है| यह संक्रमण आंतों को प्रभावित करता है| यह संक्रमण संक्रमित भोजन व पानी की वजह से फैलता है| यह रोग  उन क्षेत्रों में ज्यादा पाया जाता है जहां पर स्वच्छता की कमी होती है|

अमीबारुग्णता के लक्षण

www.rsyoga.blogspot.comकई बार इस रोग के कोई भी लक्षण दिखाई नहीं देते हैं लेकिन कई बार बहुत ज्यादा तकलीफ होने पर निम्न लक्षण दिखाता है|

1) कई बार इस रोग में उल्टियां भी आती है
2) डायरिया भी इस रोग का मुख्य लक्षण है कई बार मल में खून भी आने लगता है
3) अचानक से वजन कम हो जाना भी इसका एक लक्षण है
4) कई बार पेट में दर्द भी होता है
5) मल त्यागते वक्त दर्द होना
6) बुखार होना
7) भूख में कमी
8) थकावट महसूस होना
9) पानी की कमी होना
10) जी मिचलाना

अमीबारुग्णता के कारण

अमीबारुग्णता एंटअमीबा हिस्टोलिटिका के संक्रमण से होता है| यह एक प्रकार का अमीबा है जो कि दूषित पानी और खाने से फैलता है| ऐसे इलाके जिनका वातावरण दूषित है उनमें यह सबसे ज्यादा पाया जाता है| दूषित खाना और पानी ही इसके फैलने का सबसे प्रमुख कारण है| ऐसे लोग जिनकी रोग प्रतिरोधक क्षमता कम होती है उनमें यह ज्यादा फैलता है|

अमीबारुग्णता के उपाय

1) नीम के पत्तों का उपयोग: सूखे हुए नीम के पत्ते और हल्दी को बराबर मात्रा में मिलाकर उसमें कुछ बूंदे सरसों के तेल की डालें और पेस्ट बना लें स पेस्ट को त्वचा पर लगाए  और एक घंटे बाद हल्के गर्म पानी से धो लें

2) ड्रमस्टिक का उपयोग: 450 ग्राम ड्रमस्टिक के रस में 450 ग्राम शीशम के बीज का रस मिलाएं और तब तक उबालें जब तक उसमें से सारा पानी उड़ ना जाए इस मिश्रण को ठंडा होने दें और एक शीशी में भर लें इस मिश्रण को पीने से बीमारी दूर हो जाती है|

3) पीपल के पेड़ की छाल: पीपल के पेड़ की छाल को उतार कर अच्छी तरह से धो कर सुखा लें और पीसकर चूर्ण बना लें| इस चूर्ण को त्वचा पर लगाने से यह बीमारी ठीक हो जाती है|

4) एप्रीकॉट का उपयोग: एप्रीकॉट के पत्तों का रस निकालकर संक्रमण वाली जगह पर लगाने से संक्रमण ठीक हो जाता है|

5) अमरूद के पत्तों का उपयोग: अमरूद के 4 पत्तों को तोड़ कर अच्छी तरह से साफ करके उनको सुखा लें अब इनका पेस्ट बनाएं थोड़ा सा पानी डालकर और इसे संक्रमण वाले स्थान पर लगाए

6) काली चाय का उपयोग: काली चाय में भी एंटीऑक्सीडेंट होते हैं जो कि संक्रमण को कम कर देते हैं| अतः काली चाय का उपयोग भी अमीबारुग्णता को कम करता है|

अमीबारुग्णता से बचने के लिए कुछ सुझाव

1) हमेशा खाना और पानी स्वच्छ पीना चाहिए खाना
2) कभी भी खुले में मौजूद फेरी वालों से नहीं खाना चाहिए
3) खाने को हमेशा साफ- सुथरी जगह पर रखना चाहिए
4) पानी को हमेशा बंद बर्तन में रखना चाहिए
5) हमेशा पाश्चुरीकृत डेयरी उत्पादों का इस्तेमाल करना चाहिए

 यह सब सावधानियां बरतने से इस बीमारी से छुटकारा पाया जा सकता है




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